आँखें खोलते ही सपने टूट जाते हैं।।
ज़रा सी बात पर अपने रूठ जाते हैं।।
ज़रा सी बात पर अपने रूठ जाते हैं।।
सारा शहर वाकिफ है उसके झूठ से।।
उसके सामने सब आईने टूट जाते हैं।।
उसके सामने सब आईने टूट जाते हैं।।
फूलों के रंगों फ़िदा रहते हैं सब मगर।।
पौधों को बचाने में गमले टूट जाते हैं।।
पौधों को बचाने में गमले टूट जाते हैं।।
मुश्किल है शायद मुरझा के साथ रहना।।
इसीलिए पतझड़ में पत्ते टूट जाते हैं।।
इसीलिए पतझड़ में पत्ते टूट जाते हैं।।
कोशिश करो कि सबके पास रहो "अनजाना"।।
यूँ दूर दूर रहने से रिश्ते टूट जाते हैं।।
यूँ दूर दूर रहने से रिश्ते टूट जाते हैं।।
No comments:
Post a Comment
अपने सुझाव और प्रतिक्रिया के लिए धन्यवाद !!