"करार आ जाये"
सूरत-ए-यार दिखा दो, तो करार आ जाए।
आग पानी में लगा दो, तो करार आ जाये।।
ऐसे महताब नकाबों में, छुपा कर न रखो।
रुख से पर्दा ये हटा दो, तो करार आ जाए।।
तेरी आँखें हैं या पैमाना, छलकता सा कोई।
जाम आँखों से पिला दो, तो करार आ जाए।।
यूं तो ज़ालिम ये अदा, तेरी निगाहों की है,
दिल पे बिजली सी गिरा दो, तो करार आ जाये।।
प्यासा "साहिल" है यहाँ, रेत के दरिया जैसा।
रस से होठों के भिगो दो, तो करार आ जाए।।
सूरत-ए-यार दिखा दो, तो करार आ जाए।
आग पानी में लगा दो, तो करार आ जाये।।
ऐसे महताब नकाबों में, छुपा कर न रखो।
रुख से पर्दा ये हटा दो, तो करार आ जाए।।
तेरी आँखें हैं या पैमाना, छलकता सा कोई।
जाम आँखों से पिला दो, तो करार आ जाए।।
यूं तो ज़ालिम ये अदा, तेरी निगाहों की है,
दिल पे बिजली सी गिरा दो, तो करार आ जाये।।
प्यासा "साहिल" है यहाँ, रेत के दरिया जैसा।
रस से होठों के भिगो दो, तो करार आ जाए।।

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